शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

बचपन की कहानियां याद है मुझे

 बचपन की कहानियां याद है मुझे


जो पाया मैंने तुमसे अहसास है मुझे

आंखे बंद थी बोल नहीं पाता था

पर ना जाने तुमको सब समझ आता था

नींद ना लेने देता था ना खुद सो पाता था

मां याद है एक -2 बात मुझे 

मै तुमको कितना सताता था।

खाने का निवाला लिए मेरे पिछे दौड़ा करती थी

खुद खाना खाने से पहले मेरी चिंता करती थी।

याद है एक - 2 बात मुझे मै तुमको कितना भगाता था।

टूट गया जब मेरा खिलौना उस दिन कितना रोया था

नया बैट लेने को कहकर रात भर ना सोया था।

मेरी मुस्कुराहट उस दिन मा तुमने लौटाई थी।

ना जाने की कैसे पापा से लड़के नया खिलौना लाई थी।

बचपन की बातो को याद कर आज भी भर आता हूं

मै जाने अनजाने में तुमको कितना सताता हूं।

बचपन की कहानी याद है मुझे 

जो पाया मैंने तुमसे अहसास है मुझे।


मेरी एक ओर कविता मां को समर्पित

Pt kk vats

आज कल शाम कुछ


 

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

वोह हिम्मत देता है

 वोह हिम्मत देता है करना आपके हाथ में है।

बाकी तो लोग वही कर सकते है जो ओकात में है।


टूटे हुए टुकड़े किसी काम के नहीं


 

तनहाई में घर घर लगता हैं


 अब अपनों का नाम ना लेना डर लगता है-2

तनहाई में रहता हूं तो घर घर लगता है

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

हर एक किरदार को



 हर एक किरदार निभा रहा हूं यारों

फिर भी हर चोट खा रहा हूं यारों

ज़िन्दगी ज्यादा ही कुछ उलझी सी है

उसको  बड़े ध्यान से सुलझा रहा हूं यारो 


देखता हूं क्या कर सकता हूं मै

कितनी ज़िन्दगी बदल सकता हूं मैं

उम्मीद तो है हर दिल में बसने की

अभी अपनो को ही आजमा रहा हूं यारो,


ये मै  जनता हूं में जीत जाऊंगा

हर किसी दिल को जीत लाऊंगा

मगर फिर भी डगमगा रहा हूं यारो

हाथ थाम लो मैं घबरा रहा हूं यारो


शनिवार, 10 अक्टूबर 2020

समय का पहिया घूम रहा है


 समय का पहिया घूम रहा।

जो सही है उसको चूम रहा है।

मतकर बेईमानी ईमान से

क्योंकि वक्त बुराई धुंड रहा है।

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

सुन लो गंगा क्या केहेति है

 



मै चिर हिमालय आती हूं चट्टानों से टकराती हूं

निकली शिव के केषों से पावन हूं हरी हरी के चरणों से 

किसी जगह भी मेरी बूंद गिरे उसको अमृत कर जाती हूं,

सायद मुझको तुम भूल गए मै गंगा मां कहलाती हूं,


क्यों करते हो अपमान मेरा बचपन मे क्यों था मान मेरा,

मदिरा के सेवन कर कर के क्यों करते हो स्नान मेरा

क्यों ढोंग सनातन का करके मुझको अछूत कर जाते हो,

सयाद तुम सब ये भूल गए मुझे गंगे मा क्यों बुलाते हो,


मुझ में नहाए फिर पाप करे, क्यो बेटी का अपमान करे

गांगा जल जैसी पावन कन्याओं का ना सम्मान करे,

क्यों नोच नोच कर फेंक रहे नन्हे से जिगर के टुकड़ों को,

बेबस मा भी अब तक रही उन हेवानो के मुखड़ों को,


सुन लो गंगा क्या केहेति है , बस कर पगले इन्सान सुन,

म त कहां कर माता मुझको तू बन रहा हेवान रे सुन

घर बैठे आपने माता पिता का, बस करले तू सम्मान रे सुन,

उन्मेही गौरी शंकर जिनको में शीश झुकाती हूं,


तुम याद रखो मेरे लाल मुझे में ही गंगा मां कहलाती हूं,




सोमवार, 28 सितंबर 2020

आओ ले च लू

 आओ ले चलु दुनियां के नए व्यापार में

जहां दूसरे का गम बिकता है हसी के बाज़ार में

हर सक्श आंख खोल कर जिसको देखता पढ़ता है,

खुश होता है दूसरों के गम पर खुशी पे रोता है,

क्या हुआ क्यों पड गए किस सोच विचार में,

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,

इंसान ढूंढता है चीखती दर्दनाक तस्वीरों को,

देता है गालियां अपने देश के वीरो को,

हर दर्द की उडाता धज्जीया चुटकुलों की बोछार में,

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,

नए नए व्यापारी है नई नई जबानी है,

लोग पुराने सही मगर नई नवेली कहानियां है,

कहीं किसी को कब्जे की खुशी है,

कोई किसी के इंसाफ से दुखी हैं,

कोई ओरो के नाशो से परेशान है,

बे मतलब हर कोई एक दूसरे से परेशान है,

नाराज़ क्यों है लोग इसकी कोई वजहा नहीं,

अब भी संभल जाओ दोस्त वाहेम की दवा नहीं,

प्यार से देखो दुनियां ना बेचो अखबार में

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,


शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

वक़्त नहीं इंसान के हाथों में

 


वक़्त नहीं इंसान के हाथों में वोह कई बार बता चुका है

अपनी मन मानी करके कई  बार इंसान पछता चुका है 

ना जाने कौन सी खुशी के पीछे भाग रहा है तू बेसब्र सा

अपनो को रुला कर दुनिया में कोन जन्नत बना सका है,

सोमवार, 21 सितंबर 2020

कमाल का हिसाब है दुनिया

कमाल का हिसाब है दुनिया का जनाब।
कभी माना नहीं करती मगर काम भी नहीं आती।
कहने को सब तेरा है मेरे यार पर दे नहीं पाती।
उम्मीद क्या करू इस लाचार दुनिया से।
जो खुद किसी सहरे भी ना चल नहीं पाती।
नजने क्यों भेजता है इस जमाने ख़ुदा सताने को।
जहां रिश्तों की कदर नहीं इस जमाने को।
जिसे प्यार नहीं अपनो की कदर नहीं मेरे प्यारे।
वो फिर क्यों  इज्ज़त देगा वोह तुझ बेगाने को।
कतपुती बाना कर भेजा है और भेष भी जोकर का।
जिन्दगी भर किरदार निभान है तुझे नोकर का।
एहेसान नहीं करे गा कोई तरसा नहीं खयेगा।
हाथ से ढक लें थाली कोई छीन कर रोटी ले जायेगा।
कमाल का हिसाब है दुनिया का जनाब ।
कभी मना नहीं करती मगर काम भी नहीं आती।

उम्र भर तरस्ता रहा कुछ पल खुशियों पाने को।

 उम्र भर तरस्ता रहा कुछ पल खुशियों पाने को।

जोभी मिला एक दर्द दे गया ताउम्र तड़फाने को।

कुछपल मुस्कुराया जो मै वोह रास ना है ज़माने को।

ख़ैर क्या फर्क पड़ता है कुछ दिल बने है दुखाने को।


गुरुवार, 27 अगस्त 2020

इस सदी में भारत का नया रंग

 इस सदी में भारत का नया रंग चढते देखा।

मगर टूट गया में इन देश को ढलते देखा।

सिसकती आंखे देखी, लढ़ खड़ाते पैरो को देखा।

टूटती उम्मीदे देखी, रूठते किस्मत को देखा।

भुजते चुल्हे देखे सुलगे हुए घरो को देखा।

सबर करने का सबर टूटते हुए देखा।

भले को बिगड़े, नेकी को बुराई करते देखा ।

आकाश से कहर बरसते ,जमी को तरसते देखा।

अपनो से अपनो को लड़ते देखा ।

झुटे वादे देखे ,टूटते उम्मीदो को देखा।

भारत मे ऐसा व्यापार देखा।

देश की धरती एक पर दो तरह का व्यवहार देखा।

कुछ पल शौक के लिए, करते अपनो का शिकार देखा।

सही कहूँ तो ज़िन्दगी देश का नया क़िरदार देख।

इस सदी में ज़िन्दगी भारत का नया रंग चढ़ते देखा





बुधवार, 19 अगस्त 2020

मन मैला ना होने दू।

मन मैला ना होने दू, तन मैला ना राखु ।

तेरे नाम की चादर से में अपने तन को ढाकू।

दूर रहु अंधकार से नाम तेरा जापू।

तेरे दर्शन हो कन्हैया उतनी बार मुझे तेरे।

जब जब आंखे मीच कर मनमंदिर मे झाकु ।

जय श्री राधप्रिय,


सोमवार, 17 अगस्त 2020

कुछ परिंदों को काट के फ़लक से


कुछ परिंदों को कट के फ़लक से ज़मीन पर गीरते देखा।
किसी को भनक भी ना हुई मासूम दर्द से सिसकते देखा।
इतना मशगूर था पतंगबाजी में।
मरते को पानी ना पिला सका।
अपने शौक की माज़े में लिपटा।
उसे मिट्टी में भी न दबा सका।
क्या आज़ादी यू मनाई जाती है।
मंझे से परिंदों की गर्दन उडाई जाती है।
क्यो त्योहार के नाम पर बेजज़ुबानो को  काटा जा रहा है।
क्या होगा तेरा इंसान जो ये मासूम निर्दोष ये सज़ा पा रहा है।





मंगलवार, 14 जुलाई 2020

मैं हर चीज़ से मजबूत था गोविंद

मैं हर चीज़ से मजबूत था गोविन्द
बस एक  रिश्ते ही थे जो नाज़ुक थे,
टूटने की वज़ह नहीं थी मेरे पास
मुझे तोड़ने वाले थे कुछ मेरे खास?

जय श्री गोविंदबल्लभ,

बुधवार, 17 जून 2020

मैं वक़्त नही जो बदल जाऊ


मैं वक़्त नही हु जो किसी ओर का हो जाऊं
वक़्त का क्या वो किसी का भी हो जाये
करता हु बन्दगी तेरी ही करता रहुगा मोहन
बेशक चाहे ज़माना वक़्त के साथ बदल जाये
ये ज़िन्दगी तेरी है तेरे दर पर पड़ा हु मालिक
चाहे अब तू उठाले या फिर ठोकर लगाये,
गुनाहगार हु पर तेरीे सतरंज का ही प्यादा हु 
तेरे हाथ मे मेरी डोर है या उड़ा दे या लुटा दे

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