बचपन की कहानियां याद है मुझे
जो पाया मैंने तुमसे अहसास है मुझे
आंखे बंद थी बोल नहीं पाता था
पर ना जाने तुमको सब समझ आता था
नींद ना लेने देता था ना खुद सो पाता था
मां याद है एक -2 बात मुझे
मै तुमको कितना सताता था।
खाने का निवाला लिए मेरे पिछे दौड़ा करती थी
खुद खाना खाने से पहले मेरी चिंता करती थी।
याद है एक - 2 बात मुझे मै तुमको कितना भगाता था।
टूट गया जब मेरा खिलौना उस दिन कितना रोया था
नया बैट लेने को कहकर रात भर ना सोया था।
मेरी मुस्कुराहट उस दिन मा तुमने लौटाई थी।
ना जाने की कैसे पापा से लड़के नया खिलौना लाई थी।
बचपन की बातो को याद कर आज भी भर आता हूं
मै जाने अनजाने में तुमको कितना सताता हूं।
बचपन की कहानी याद है मुझे
जो पाया मैंने तुमसे अहसास है मुझे।
मेरी एक ओर कविता मां को समर्पित
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