शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

रविवार, 25 जुलाई 2021

कविता ,नया मानव बना दो तुम

सुनो संभू मेरे महादेव अब इतना कारा दो तुम,
बहुत महंगा हैं अब ज़माना नया मानव बना दो तुम,
तुम्हारे इस जगत में तो  बड़ी ही मारा मारी है,
बड़ी जंजाल ये दुनिया बचाना जान भारी है,
अगर हो जाए ये दुनिया कोभी काशी बनाना तुम,
बहुत महंगा जमाना है नया मानव बना दो तुम,
तुम्हारा नाम ले संभु तो सारी भुख उड मिट जाए,
तुमहारा ध्यान करले मन में जो बिन पंख उद जाए
हर एक के हो तुम मुखिया  वही सब घर बना दो तुम
जहां सत्संग हो शिव का , ह्रदय गंगा बना दो तुम,
सुनो तिरलोक के स्वामी एक ऐसा जग की माया हो
जहां पापी ना शापी हो प्रभू बस तुमरी छाया हो,
मुझे भी उस ज़माने का प्रभू मानव बना दो तुम,
बहुत महंगा ज़माना है नया मानव बना दो तुम
  


शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

कविता ,मोबाइल के रिश्ते


 साथ बैठ कर भी एक दुसरे को अनदेखा कर देना

हर बात का जवाब हां ओर हूं में देना दे देना

बिना बताए अपनो के घर पहुंचे हो जाते है हैरान

ये दोष अपनो का नही मोबाइल का है मेरी जान।


बिना मिले एक दूजे से  हर हाल पूछ लेना 

भावनाओं को लिख कर व्हाट्स पर डाल देना

फोन करलेगा जो होगा जो परेशान

ये दोष अपना नही मोबाइल का है मेरी जान


तकरार भी करते है ऐतबार भी करते है

फोन पर लडने वाले कभी सामना नहीं करते

मांग कर माफी   फिर बनते है महान

ये दोष अपनो का नही मोबाइल का है मेरी जान

मंगलवार, 13 जुलाई 2021

शायरी वक्त नहीं ये देखने का


 वक्त नहीं ये देखने का कोन बुरा है
अभी निकला हूं जिस तरफ वो मुकाम अधूरा है।
खुदा ने मौका दीया है खुदको नेक बनाने का
फिर नही आएगा दिन कुछ कर जाने का।
देखलो एक दुसरे को ना देखो घूर घूर के
वक्त बुरा है ले ना जाए सब कुछ ओड के।
इस बुरे वक्त के बैरियों का अंजाम भी बुरा है
अभी निकला हूं जिस तरफ वो मुकाम अधूरा है।
नाराज़ नहीं है किसी बस भी कुछ डरा डरा है
मेंरे घर के सामने जो घर था वो खाली पड़ा है।
मुस्कुरा कर एक बुजुर्ग हाथ हिलाया करते थे
कुछ चहेरे दिखते नही जिन्हे अपना बताए करते थे।
वक्त की नज़ाकत को समझो ये मशवरा भी बूढ़ा है
अभी निकला हूं जिस तरफ वो मुकाम अधूरा है।


Naam kamao,paisa nahi

 Paisa kamane ke liye ek din , Naam kamane ke liye Puri zindagi. Bigdne me ek pal Kafi hota, Vishvas banaye rakhiye Naam jamye rakhiye , Jai...