शनिवार, 3 सितंबर 2022

इंटरनेट का रिश्ते

दुनियां में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने कामों को हमेशा आसान करने के उपाय ढूंढता रेहेता है,

परंतु किसी को क्या पता था एक दिन एक ऐसी क्रांति जन्म लेगी जिसका नाम होगा डिजिटल, इंटरनेट सेवा जो इन्सान को सब भुला देगी चिट्ठी पात्र विवाह निमंत्रण, गुम हो जायेगे 
ओर जब से इंटेनेट ने रफ्तार पकड़ी है, पत्र नाम भी खंड खंड हो गया, ओर बन गया e mai, WhatsApp, Messenger,snep Chat,whe chat,shear Chat,fb,
और पता नही आने वाले युग मैं क्या =2 आना बाकी है
लोगो का मानना है के इंटरनेट आने के बाद लोगो के आधे से ज्यादा काम घर बैठे हो जाते , घर का राशन, बिल, टैक्स,हेयर कट से लेकर वेक्स, भईया यह तक शादी विवाह, बच्चे का नाम कर्ण, तक का पैकेज बुक कर दिया गूगल बाबा ने,
अब तो बोलके देखो सब मिलता है ,मतलब जो लोग इस बबाल से दूर थे जीने लिखना भी नही आता था, वो भी रस्ते लग जाए,
पहली बात में तो अच्छा है कुछ ढूंढेगा, परन्तु भावनाओ को समझो, भईया कुछ लोग इंटरनेट का सही इस्तेमाल कर रहे हैं,
परंतु कुछ सही से इस्तेमाल कर रहे हैं,

 पहले फ्राईडे पर एक न्यू फिल्म रिलीज होती थी
लोगो को अपने घरवालों के साथ समय व्यतीत करने को मिलता था परिवार के साथ हस लिए करते थे।

रक्षा बंधन की राखियां भी इंटनेट पर सुनी हो जाएगी दिवाली की मिठाई की मिठास खो जाएगी

किसी का जन्मदिन या पार्टी त्योहार पर होटल में खाना खा लिया करते थे किसी बहाने एक साथ बैठ लिए करते थे।

छुट्टी वाले दिन बच्चों को पार्क ले जाना अब बच्चो को मोबाइल गेम डाउनलोड कर के देना उस वक्त को बदल देना।

अब सब नेट पर आ जाता है,किस को अपनी जगह से अपने कमरों से निकलने की ज़रूरत नही, आदत बदल गई पर सूरत नहीं,

एक कमरे मैं चार लोग एक साथ बैठे थे, मगर आपस में बात नही कर रहे थे, ये इंटरनेट का खेल है,यह सब ई मेल और जी मेल है।

आपकी क्या राय है

PT kkvats ✍️


मां शब्द नही अहसास


 

टूट रहा हूं जरूरत है


 

Shayrana club : ब्रहमण भोज

Shayrana club : ब्रहमण भोज: सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग,में जब भी ब्रह्मण को भोजन के लिया आमंत्रित किया जाता था तो , ओर उनका पूजन किया जाता, ओर चरण स्पर्श कर उन्हें घ...

ब्रहमण भोज





सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग,में जब भी ब्रह्मण को भोजन के लिया आमंत्रित किया जाता था तो , ओर उनका पूजन

किया जाता, ओर चरण स्पर्श कर उन्हें घर में प्रवेश कराया जाता था , भोजन में सात्विक भोजन परोसा जाता था, 

ओर यजमान उन्हें सकुशल उनको विदा करते, उसके उपरांत भोजन किया करते थे, भोजन उस दिन ब्रह्मण की इच्छा से बनाया जाता ओर स्वयं भी वहीं प्रशाद रूप खाया जाता, कलियुग में कुछ, लोग जानें अनजाने या जान बूझकर, ब्रह्मण मित्रों,को आमंत्रित कर के , तामसिक भोज

,जिसमें प्याज लहसुन, मसाहरी, मदिरा, आदि ना सेवन 

करने पर , निंदा की जाती है, ओर सात्विक खाने वाले का मज़ाक उपहास उड़ाया जाता है , ओर अपने कुल को नर्क

में धकेला जाता है,इस लिया जिसे आपके धर्म का मना हो ज्ञान हो, उनके साथ सम्मलित हो,

ओर वह ब्रह्मण भी कुलघाती होता है, जो सभी ज्ञान होने के बाद भी अपने धर्म का खण्डन कर अपने समस्त पितरों को 

भी पीड़ा प्रदान करता हैं,

पितृ पक्ष आने वाला है वाला है, यह समय अपने पितृ दोषों से मुक्त होने के लिए,सभी उपाय से उचित मार्ग है, कहा जाता है की पितृपक्ष के समय पितृ को आप जो भी देते है या उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है,वह सीधे ही आपको प्रदान होता है,

पूजा विधि

इस दिन आप किसी ब्रह्मण देव को आमंत्रित कर अपने घर भोजन के लिए बुलाए, भोजन बनाने से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े और स्वच्छ रसोई रखें एवम सात्विक भोजन बनाए जिसमे प्याज़ लहसुन ना हो पूड़ी, कचोरी , सब्जी, रायता, फल मीठी खीर, मिठाई,

ब्रह्मण देव के आते ही उनके चरण धोकर कपड़े से कपड़े से पोंछ, घर के भीतर एक साफ कपड़ा या आसन बिछाकर उन्हें बैठाए, भोजन परोसे, जल एक लोटे में अवश्य रखें,


साथ में अलग से एक थाली में , 5 पुड़िया प्र जो भोजन बनाया है थोड़ थोड़ा रखिए जिसमे एक गौ, स्वान, चिटी, कोए,ओर अग्नि, को भोग दे,


अपने पितृ का ध्यान करे ओर भोजन का आग्रह करे , भोजन के बाद वस्त्र के साथ और फल के साथ दक्षना प्रदान कर उनके चरण सपर्श कर आशिर्वाद ले और आने के लिए धन्येवाद करे 

ध्न्येवाद वाद आप

PT kkvats ✍️












Naam kamao,paisa nahi

 Paisa kamane ke liye ek din , Naam kamane ke liye Puri zindagi. Bigdne me ek pal Kafi hota, Vishvas banaye rakhiye Naam jamye rakhiye , Jai...