गुरुवार, 27 अगस्त 2020

इस सदी में भारत का नया रंग

 इस सदी में भारत का नया रंग चढते देखा।

मगर टूट गया में इन देश को ढलते देखा।

सिसकती आंखे देखी, लढ़ खड़ाते पैरो को देखा।

टूटती उम्मीदे देखी, रूठते किस्मत को देखा।

भुजते चुल्हे देखे सुलगे हुए घरो को देखा।

सबर करने का सबर टूटते हुए देखा।

भले को बिगड़े, नेकी को बुराई करते देखा ।

आकाश से कहर बरसते ,जमी को तरसते देखा।

अपनो से अपनो को लड़ते देखा ।

झुटे वादे देखे ,टूटते उम्मीदो को देखा।

भारत मे ऐसा व्यापार देखा।

देश की धरती एक पर दो तरह का व्यवहार देखा।

कुछ पल शौक के लिए, करते अपनो का शिकार देखा।

सही कहूँ तो ज़िन्दगी देश का नया क़िरदार देख।

इस सदी में ज़िन्दगी भारत का नया रंग चढ़ते देखा





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