बुधवार, 17 जून 2020

मैं वक़्त नही जो बदल जाऊ


मैं वक़्त नही हु जो किसी ओर का हो जाऊं
वक़्त का क्या वो किसी का भी हो जाये
करता हु बन्दगी तेरी ही करता रहुगा मोहन
बेशक चाहे ज़माना वक़्त के साथ बदल जाये
ये ज़िन्दगी तेरी है तेरे दर पर पड़ा हु मालिक
चाहे अब तू उठाले या फिर ठोकर लगाये,
गुनाहगार हु पर तेरीे सतरंज का ही प्यादा हु 
तेरे हाथ मे मेरी डोर है या उड़ा दे या लुटा दे

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