सत्य क्या असत्य क्या कुछ नही जानत हूं
सत्य क्या असत्य क्या कुछ नही जानत हूं
आपका हूं में भोले आपको मानत हूं
पाप पुण्य क्या ना जानू मैं ज्ञानी नही
तुम्हारे नाम के सिवाए कुछ मुंह ज़ुबानी नहीं
भला हूं बुरा हूं अन्धकार का मारा हूं
सिविकार करो शंभू जैस हूं तुम्हारा हूं
कोई नही संसार में जिसका हूं प्यारा मैं
तू ही गोद ले लो फिरता हूं मारा मारा मैं
सूना है मां से मैने तुमसा कोई दानी नही
काल को हर ले भक्त के तुमसा कोई ज्ञानी नही
हे त्रिलोकी तुमरी माया के सागर में खो जाऊं
थक गया हूं चलते चलते तुमरी छाव में सो जाऊं
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