हाथो से जैसे किसी के छुठने लगा हु
ओ ज़िन्दगी मे तुझसे रूठ ने लगा हु ,
मुझे मुठ्ठी मे रोकने की जीद ना कर
मैं उस बर्फ के तुकडे सा खुद मे ही दूब रहा हूँ ?
ओ ज़िन्दगी मे तुझसे रूठ ने लगा हु ,
मुझे मुठ्ठी मे रोकने की जीद ना कर
मैं उस बर्फ के तुकडे सा खुद मे ही दूब रहा हूँ ?
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