सोमवार, 28 सितंबर 2020

आओ ले च लू

 आओ ले चलु दुनियां के नए व्यापार में

जहां दूसरे का गम बिकता है हसी के बाज़ार में

हर सक्श आंख खोल कर जिसको देखता पढ़ता है,

खुश होता है दूसरों के गम पर खुशी पे रोता है,

क्या हुआ क्यों पड गए किस सोच विचार में,

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,

इंसान ढूंढता है चीखती दर्दनाक तस्वीरों को,

देता है गालियां अपने देश के वीरो को,

हर दर्द की उडाता धज्जीया चुटकुलों की बोछार में,

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,

नए नए व्यापारी है नई नई जबानी है,

लोग पुराने सही मगर नई नवेली कहानियां है,

कहीं किसी को कब्जे की खुशी है,

कोई किसी के इंसाफ से दुखी हैं,

कोई ओरो के नाशो से परेशान है,

बे मतलब हर कोई एक दूसरे से परेशान है,

नाराज़ क्यों है लोग इसकी कोई वजहा नहीं,

अब भी संभल जाओ दोस्त वाहेम की दवा नहीं,

प्यार से देखो दुनियां ना बेचो अखबार में

आओ ले चलूं तुमको दुनिया के नए व्यापार में,


शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

वक़्त नहीं इंसान के हाथों में

 


वक़्त नहीं इंसान के हाथों में वोह कई बार बता चुका है

अपनी मन मानी करके कई  बार इंसान पछता चुका है 

ना जाने कौन सी खुशी के पीछे भाग रहा है तू बेसब्र सा

अपनो को रुला कर दुनिया में कोन जन्नत बना सका है,

सोमवार, 21 सितंबर 2020

कमाल का हिसाब है दुनिया

कमाल का हिसाब है दुनिया का जनाब।
कभी माना नहीं करती मगर काम भी नहीं आती।
कहने को सब तेरा है मेरे यार पर दे नहीं पाती।
उम्मीद क्या करू इस लाचार दुनिया से।
जो खुद किसी सहरे भी ना चल नहीं पाती।
नजने क्यों भेजता है इस जमाने ख़ुदा सताने को।
जहां रिश्तों की कदर नहीं इस जमाने को।
जिसे प्यार नहीं अपनो की कदर नहीं मेरे प्यारे।
वो फिर क्यों  इज्ज़त देगा वोह तुझ बेगाने को।
कतपुती बाना कर भेजा है और भेष भी जोकर का।
जिन्दगी भर किरदार निभान है तुझे नोकर का।
एहेसान नहीं करे गा कोई तरसा नहीं खयेगा।
हाथ से ढक लें थाली कोई छीन कर रोटी ले जायेगा।
कमाल का हिसाब है दुनिया का जनाब ।
कभी मना नहीं करती मगर काम भी नहीं आती।

उम्र भर तरस्ता रहा कुछ पल खुशियों पाने को।

 उम्र भर तरस्ता रहा कुछ पल खुशियों पाने को।

जोभी मिला एक दर्द दे गया ताउम्र तड़फाने को।

कुछपल मुस्कुराया जो मै वोह रास ना है ज़माने को।

ख़ैर क्या फर्क पड़ता है कुछ दिल बने है दुखाने को।


गुरुवार, 27 अगस्त 2020

इस सदी में भारत का नया रंग

 इस सदी में भारत का नया रंग चढते देखा।

मगर टूट गया में इन देश को ढलते देखा।

सिसकती आंखे देखी, लढ़ खड़ाते पैरो को देखा।

टूटती उम्मीदे देखी, रूठते किस्मत को देखा।

भुजते चुल्हे देखे सुलगे हुए घरो को देखा।

सबर करने का सबर टूटते हुए देखा।

भले को बिगड़े, नेकी को बुराई करते देखा ।

आकाश से कहर बरसते ,जमी को तरसते देखा।

अपनो से अपनो को लड़ते देखा ।

झुटे वादे देखे ,टूटते उम्मीदो को देखा।

भारत मे ऐसा व्यापार देखा।

देश की धरती एक पर दो तरह का व्यवहार देखा।

कुछ पल शौक के लिए, करते अपनो का शिकार देखा।

सही कहूँ तो ज़िन्दगी देश का नया क़िरदार देख।

इस सदी में ज़िन्दगी भारत का नया रंग चढ़ते देखा





बुधवार, 19 अगस्त 2020

मन मैला ना होने दू।

मन मैला ना होने दू, तन मैला ना राखु ।

तेरे नाम की चादर से में अपने तन को ढाकू।

दूर रहु अंधकार से नाम तेरा जापू।

तेरे दर्शन हो कन्हैया उतनी बार मुझे तेरे।

जब जब आंखे मीच कर मनमंदिर मे झाकु ।

जय श्री राधप्रिय,


सोमवार, 17 अगस्त 2020

कुछ परिंदों को काट के फ़लक से


कुछ परिंदों को कट के फ़लक से ज़मीन पर गीरते देखा।
किसी को भनक भी ना हुई मासूम दर्द से सिसकते देखा।
इतना मशगूर था पतंगबाजी में।
मरते को पानी ना पिला सका।
अपने शौक की माज़े में लिपटा।
उसे मिट्टी में भी न दबा सका।
क्या आज़ादी यू मनाई जाती है।
मंझे से परिंदों की गर्दन उडाई जाती है।
क्यो त्योहार के नाम पर बेजज़ुबानो को  काटा जा रहा है।
क्या होगा तेरा इंसान जो ये मासूम निर्दोष ये सज़ा पा रहा है।





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