गुरुवार, 27 अगस्त 2020

इस सदी में भारत का नया रंग

 इस सदी में भारत का नया रंग चढते देखा।

मगर टूट गया में इन देश को ढलते देखा।

सिसकती आंखे देखी, लढ़ खड़ाते पैरो को देखा।

टूटती उम्मीदे देखी, रूठते किस्मत को देखा।

भुजते चुल्हे देखे सुलगे हुए घरो को देखा।

सबर करने का सबर टूटते हुए देखा।

भले को बिगड़े, नेकी को बुराई करते देखा ।

आकाश से कहर बरसते ,जमी को तरसते देखा।

अपनो से अपनो को लड़ते देखा ।

झुटे वादे देखे ,टूटते उम्मीदो को देखा।

भारत मे ऐसा व्यापार देखा।

देश की धरती एक पर दो तरह का व्यवहार देखा।

कुछ पल शौक के लिए, करते अपनो का शिकार देखा।

सही कहूँ तो ज़िन्दगी देश का नया क़िरदार देख।

इस सदी में ज़िन्दगी भारत का नया रंग चढ़ते देखा





बुधवार, 19 अगस्त 2020

मन मैला ना होने दू।

मन मैला ना होने दू, तन मैला ना राखु ।

तेरे नाम की चादर से में अपने तन को ढाकू।

दूर रहु अंधकार से नाम तेरा जापू।

तेरे दर्शन हो कन्हैया उतनी बार मुझे तेरे।

जब जब आंखे मीच कर मनमंदिर मे झाकु ।

जय श्री राधप्रिय,


सोमवार, 17 अगस्त 2020

कुछ परिंदों को काट के फ़लक से


कुछ परिंदों को कट के फ़लक से ज़मीन पर गीरते देखा।
किसी को भनक भी ना हुई मासूम दर्द से सिसकते देखा।
इतना मशगूर था पतंगबाजी में।
मरते को पानी ना पिला सका।
अपने शौक की माज़े में लिपटा।
उसे मिट्टी में भी न दबा सका।
क्या आज़ादी यू मनाई जाती है।
मंझे से परिंदों की गर्दन उडाई जाती है।
क्यो त्योहार के नाम पर बेजज़ुबानो को  काटा जा रहा है।
क्या होगा तेरा इंसान जो ये मासूम निर्दोष ये सज़ा पा रहा है।





मंगलवार, 14 जुलाई 2020

मैं हर चीज़ से मजबूत था गोविंद

मैं हर चीज़ से मजबूत था गोविन्द
बस एक  रिश्ते ही थे जो नाज़ुक थे,
टूटने की वज़ह नहीं थी मेरे पास
मुझे तोड़ने वाले थे कुछ मेरे खास?

जय श्री गोविंदबल्लभ,

बुधवार, 17 जून 2020

मैं वक़्त नही जो बदल जाऊ


मैं वक़्त नही हु जो किसी ओर का हो जाऊं
वक़्त का क्या वो किसी का भी हो जाये
करता हु बन्दगी तेरी ही करता रहुगा मोहन
बेशक चाहे ज़माना वक़्त के साथ बदल जाये
ये ज़िन्दगी तेरी है तेरे दर पर पड़ा हु मालिक
चाहे अब तू उठाले या फिर ठोकर लगाये,
गुनाहगार हु पर तेरीे सतरंज का ही प्यादा हु 
तेरे हाथ मे मेरी डोर है या उड़ा दे या लुटा दे

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