गुरुवार, 2 सितंबर 2021

ॐ श्री महामृत्युंजय मंत्र

 

ॐ श्री महामृत्युंजय मंत्र


नमस्कर दोस्तों ,

 आपने महामृत्युंजय मंत्र के बारे में सूना होगा, पर हम आपको बता दें कि महामृत्युंजय भगवान शिव शंकर का ही नाम ,है इस मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय जी ने स्वयं की थी क्योंकि ऋषि मार्कंडेय जी की आयु से अधिक नहीं थी , महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते करते मार्कंडेय भगवान शंकर के शक्ती लिंग को पक्का बैठे बैठे भगवान के ध्यान में मगन थे , जब यमराज मार्कण्डे के प्राण हारने के लिऐ आगे बड़े, तभी महादेव महाकाल रुप में प्रकट हुए, ओर यमराज लोटने का आदेश दिया , ओर मार्कण्डे जी के प्राणों की रक्षा की, ओर महामृत्युंजय कहलाए।

इस महामृत्युंजय मंत्र जप से बडे़ से बडे़ संकट दूर हो जाते है और महादेव अपने भक्तो को किसी के भरोसे नहीं छोड़ते स्वयं आते हैं। 


।। ॐ ह्रौं जूं सः । ॐ भूर्भवः स्वः । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌ । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌ । स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ ।




बुधवार, 1 सितंबर 2021

हास्य कथा, संतोष की प्रार्थना,

 हास्य कथा, किस्से कहानियां,


संतोष की प्रार्थना,


 एक शहर में संतोष नाम का आदमी अपने परिवार के साथ रहता था उसके परिवार में उसकी बूढ़ी मां शांति ,उसकी बीवी सरोज ,और दो बच्चे बिट्टू और मुन्नी थे ।

संतोष काफी सीधा किस्म का इंसान था वह किसी से मतलब नहीं रखता था ।

संतोष से घर से नौकरी और नौकरी से घर, सन्तोष एक माल में सैल्स मैन था।

बच्चों के खिलौने और कपड़े बेचा करता था, जहां पर छोटे-छोटे बच्चे अपने मां बाप के साथ आया करते, और वहां पर आकर खरीदारी करा करते बहुत सुंदर सुंदर खिलौने और कपड़े मिला करते थे, जो काफी महंगे हुआ करते थे ।

लेकिन संतोष की तनख्वाह को ज्यादा नहीं की संतोष उन्हें देखता और मन ही मन खुश होने लगता है, सोचता काश अगर हम भी बच्चे होते तो ही अच्छा था।

एक बार बहुत तेज बारिश हो रही थी संतोष अपनी नौकरी पर समय के अनुसार पहुंच गया था परंतु बारिश होने के कारण कोई भी माता पिता अपने बच्चों के साथ माल ना आ सके।

 तथा संतोष बड़ा परेशान हुआ शाम तक बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही , संतोष ने सोचा अगर आज के समान नहीं बिका तो मालिक उसे बहुत बातें सुनाएगा।

 शाम तक बारिश ना रुकने के कारण दुकान मालिक काफ़ी नुकसान हुआ, और संतोष के मालिक ने सारा गुस्सा संतोष पर ही निकाल दिया ।

कहने लगा तुम किसी काम के नहीं हो चले जाओ ,कल से आने की कोई जरूरत नहीं ,संतोष बड़ा परेशान हो गया, और उदास होकर अपने घर चला गया।

 संतोष ने अपने घर वालों को कुछ नहीं बताया, चुपचाप खाना खाया और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।

 संतोष ने सोचा बड़े होने के बाद में कितनी सारी परेशानी इतनी सारी जिम्मेदारियां बढ़ जाती है काश में बड़ा ही ना होता आज यह सारी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता ।

संतोष को अपनी नौकरी की चिंता थी,

उसके सिवा कोई घर में कमाने के लिए नही था, संतोष भगवान से कहने लगा या तो मेरी परेशानी खतम करो या भगवान काश मुझे फिर से छोटा कर दो तो शायद सारी परेशानियों का हल हो जाए ।

संतोष यही सोचो सोचो कर सो गया, सन्तोष को ऐसा लगा कि बहुत तेज रोशनी आई और उसको कुछ दिख नही दिया, ओर उसे घड़ी का अलार्म बजने की आवाज आई सन्तोष सुबह सुबह जब उठा।

 तो उसको कुछ अजीब सा महसूस हुआ संतोष को लगा हुआ है पहले से काफी हल्का हो गया संतोष उठकर बाथरूम में गया और मुंह धोने पर कुछ अजीब सा महसूस हुआ ।

उसने जैसे ही अपने आपको

शीशे में देखा तो देख कर चौक गया यह क्या वह एक 13 साल का लड़का बन गया था।

संतोष यह देखकर काफी घबरा गए और कमरे की तरफ भाग उसने अपने आपको आकर शीशे में देखा तो वह काफी छोटा दिखाई दे रहा था ।

संतोष की हुबहू बिल्कुल वैसा ही हो गया था जैसा कि वह अपने बचपन में था, वह कुछ समझ नहीं पा रहा था यह उसके साथ क्या हुआ, संतोष ने सोचा जाकर मां को बताता हूं ,शायद वह समझ जाए संतोष जैसी अपनी मां के पास जता है ।

तो क्या देखता है सब के सब जैसे पहले थे वैसे ही हैं यहां तक कि उसके बच्चे, बीवी ,और उसकी मां भी उसी उम्र के हैं जैसे पहले से सिर्फ संतोष ही फिर से बच्चा बनना गया।


संतोष मां के पास जाता है और कहता है मां मैं संतोष हूं इसकी मां हां बेटा तुम संतोष जैसे ही लगते हो क्या नाम है तुम्हारा ।

संतोष बोला मै संतोष, मा बोली अरे तुम्हारा नाम क्या है संतोष बोला मां तुमने मुझे पहचाना नहीं मैं वही संतोष हूं कि तुम्हारे साथ इस घर में रहता है ।

संतोष की मां बोली बड़े मजाकिया बच्चे हो तुम्हारे माता-पिता कहां हैं।

संतोष बोला आप ही मेरी मां है और पिताजी तो कब के भगवान के पास चले गए।

जब बार-बार एक ही बात बोल रहा था तो मां को गुस्सा आ गया वह बोली चले जाओ यहां से, पता नही कोन है जरा सा है और मैं आपको मेरा बेटा बता रहा है ।

मेरा बेटा नौकरी पर गया है, संतोष फिर अपनी पत्नी के पास गया और बोला सरोज क्या तुमने मुझे पहचाना मैं तुम्हारा पति हूं, सरोज बोली बड़ा बदतमीज अच्छा है छोटा सा है और अपने आप से मेरा पति बता रहा है।

 यही बात उसने अपने बच्चों से बच्चों क्या आपने मुझे पहचाना मैं आपका पापा संतोष में बच्चे उसे पागल कहने लगे बोलने लगे बड़ा पागल बच्चा है इतना छोटा सा है और अपने आप को हमारे पापा कह रहा है।

सबने ने डाट कर , सन्तोष को घर से बाहर निकाल दिया,

संतोष बेचारा सोचने लगा अब करूं तो क्या करूं कोई मुझे पहचानता ही नहीं।

 यहां तक कि मेरे अपने घरवाले भी मुझे नही पहचानते, संतोष में सोचा अपने मालिक के पास जाता हूं क्या पता मुझे पहचान जाए।

 संतोष भागा भागा अपने मालिक के पास गया और बोला मालिक आपने मुझे पहचाना मैं संतोष हूं।

आपने मुझे कल डाट कर घर भेजा था था और मैं रात को भगवान से प्रार्थना करने लगा भगवान मुझे छोटा कर दें भगवान मुझे छोटा कर दिया कर दिया उसके मालिक ने सोच यह कोई भारूपिया बच्चा है मुझे पागल समझता है शायद यह कोई चोरी करने आया है।

दुकान वाला चालक था बोला हां हां पहचान गया तुम्हें संतोष हो, पहचान गया,मैं कभी बच्चा बन गया था

 एक बार तो मैं मेरे साथ भी ऐसा हुआ था, तुम बैठो 

 मैं अभी आता हूं ।

दुकानदार चुपचाप से नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर संतोष की बहरूपिया समझकर कंप्लेंट कर देता है और पुलिस को साथ ले आता है ,पुलिस संतोष को बच्चों के जेल में ले जाकर बंद कर देती है।

 संतोष जोर जोर से चिल्लाता रहता है मैं संतोष हूं मैं संतोष हूं परंतु उसकी बात कोई नहीं सुनता ,चिल्लाते चिल्लाते संतोष को जेल में बंद कर देते हैं ,संतोष के बार-बार चिल्लाने पर मैं संतोष हूं मैं संतोष हूं ।

एक पुलिसकर्मी पानी का भरा हुआ डब्बा जब संतोष के मुंह पर फेंक है। 

तभी संतोष को आवाज आती है हां हां पता है तू ही संतोष है बार बार चिल्लाने से क्या होगा।

नौकरी पर नहीं जाना 10:00 बज गए हैं कब तक सोता रहेगा संतोष आंख खोल कर देखता है ,अपनी मां की तरफ , अपने आप को देखता है और बहुत ही खुश होता है ,संतोष सोचता है यह तो एक सपना था ।

बच गया भगवान ने सच में बच्चा नही बनाया,

ओर खुश हो जाता है, नाचने लगता है,

कुछ देर बाद एक फोन पर घंटी बजती है और उसके मालिक का फोन आता है ,संतोष तुम कहां पर हो कल मैंने तुमसे भला बुरा कह दिया था ।

गलती मेरी थी कल बारिश की वजह से कोई ग्राहक नहीं आ पाया, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, तुम काम पर आ जाओ मैं तुमसे माफी मांगता हूं संतोष खुश हो जाता है और ऑफिस के लिए तैयार होकर निकल जाता है।


(दोस्तो भगवान संतोष की परेशानी ठीक कर दी , पर इतने जबरदस्त सपने के साथ, आशा करता हूं यह कहानी आपको बेहद पसन्द आई होगी,

कैसी लगी दोस्तो हमारे भोल भाले संतोष की कहानी , हमे कॉमेंट करके बताए ,दोस्तों इसी प्रकार की आपके लिए रोमांचक किस्से कहानियां फिर मिलेंगे,)


नमस्कार मैं हूं आपका मित्र 



पंडित के के वत्स , 


shayranaclub121.blogspot.com

,

Agar aap ke zahan me koi aisi kahani kissa Hai to hamen jarur likhen,

हम उसे प्रकाशित करेंगे धन्यवाद,



रविवार, 29 अगस्त 2021

दर्दे दिल, अपना मान कर


 अपना मान कर जिसके सामने दिल खोलकर रख दिया

हर उसी शख्स ने ये दिल झंझोड़ कर रख दीया।

विश्वास कर कर के देखने की आदत है हमे

आज इस आदत ने हर रिश्ता तोड़ कर रख दिया।

हर किसी का रूबाब ही समझ ना पाया यारो

कुछ २ वक्त जिसके साथ बैठो ज़रा सी बात पे दिल तोड़ दिया।

किस किस से मिन्नते करू मुस्कुराने की भी इजाज़त लू

इससे तो बेहेतर है दोस्तों हमनें जीना ही छोड़ दिया।

शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

दर्द भारी शायरी ,जेब के रिश्ते

 दर्द भरी शायरी।

बचपन में एक सिक्का डाल कर समझा दिया था।

जो मिलेगा इस से ही मिलेगा ये बता दीया था।

बीता बचपन बचपन के खेलो में तब समझ ना पाया।

ये रिश्ता भी ईश जेब के सिक्को से है आज समझ आया।

हर रिश्ते में पहले इसी बारी है ।

आजभी  वजन उठाना इसका भारी है ।






शनिवार, 14 अगस्त 2021

जानिए हल्दी के फायदे

 

जानिए हल्दी के फायदे

क्या आप जानते है हल्दी है महाऔषधि

नमस्कर दोस्तो


हमारे घर का रसोई घर किसी चिकित्सा के ही समान है
हम जिन्हें खाना बनाने के मसाले कहते है
वह दरसल आयुर्वेद के वरदान औषदि है
जिनमे से एक है (हल्दी)

हर प्रकार की खाँसी हो, पुरानी खाँसी
काली खांसी , लीवर की समस्या , टॉन्सिल्स, या पुरानी टॉन्सिलाइटिस हो तो हल्दी बहुत गुण कारी है,
अगर किसी व्यक्ति को किसी खाँसी है तो,
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एक गिलास साफ पानी गर्म करले और 
ऊपर से एक चौथाई चम्मच हल्दी डाले
ओर उसे धीरे धीरे चाय की तरह पीने से खासी में
तुरंत लाभ मिलेगा, 
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सुखी खाँसी मे 1 चम्मच गाय का घी, 1गिलास दूध, 1 चौथाई चम्मच हल्दी , 3 को मिला कर गर्म करें और धीरे धीरे पियें
अगर मीठा डालना हो तो मिश्री का इतेमाल कर सकते है,
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अगर टॉन्सिल की समस्या है हल्दी को 1 चौथाई चम्मच
हल्दी गले मे सूखी डाले और लार के साथ गले से निचे जाने दे
ओर आधा घंटे बाद हो कुछ खाये इसके इस्तेमाल से पुराने से पुराने टॉन्सिल में आराम मिलेगा,


यह जानकारी हमारी आयुर्वेद आपको आसानी से मिल जाएगी

आपका शुभचिंतक 
कपिल वत्स 

आप सभी से अनुरोध है इस जानकारी को साझा करें
ओर आयुर्वेद का प्रचार करें सुध खाये शाकाहारी खाये

धन्येवाद


Devon ke Dev Mahadev ke 108 naam


Devon ke Dev Mahadev ke 108 naam

  नमस्कार दोस्तों,


ज्ञान भक्ति दर्शन में आपका स्वागत हैं 


दोस्तो हमारा प्रयास है के हम आपको सनातन धर्म से जुड़ी हुई जानकारी के बारे में अवगत कराते रहें , आज हम चर्चा करेंगे महादेव के 108 नामों के विषय में जी हां भक्तों महादेव के 


भगवान महादेव के ये हैं 108 नाम, इनको पढ़ने मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट


1. शिव:- कल्याण स्वरूप


2. महेश्वर:- माया के अधीश्वर


3. शम्भू:- आनंद स्वरूप वाले


4. पिनाकी:- पिनाक धनुष धारण करने वाले


5. शशिशेखर:- चंद्रमा धारण करने वाले


6. वामदेव:- अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले


7. विरूपाक्ष:- विचित्र अथवा तीन आंख वाले


8. कपर्दी:- जटा धारण करने वाले


9. नीललोहित:- नीले और लाल रंग वाले


10. शंकर:- सबका कल्याण करने वाले


11. शूलपाणी:- हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले


12. खटवांगी:- खटिया का एक पाया रखने वाले


13. विष्णुवल्लभ:- भगवान विष्णु के अति प्रिय


14. शिपिविष्ट:- सितुहा में प्रवेश करने वाले


15. अंबिकानाथ:- देवी भगवती के पति


16. श्रीकण्ठ:- सुंदर कण्ठ वाले


17. भक्तवत्सल:- भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले


18. भव:- संसार के रूप में प्रकट होने वाले


19. शर्व:- कष्टों को नष्ट करने वाले


20. त्रिलोकेश:- तीनों लोकों के स्वामी


21. शितिकण्ठ:- सफेद कण्ठ वाले


22. शिवाप्रिय:- पार्वती के प्रिय


23. उग्र:- अत्यंत उग्र रूप वाले


24. कपाली:- कपाल धारण करने वाले


25. कामारी:- कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले


26. सुरसूदन:- अंधक दैत्य को मारने वाले


27. गंगाधर:- गंगा को जटाओं में धारण करने वाले


28. ललाटाक्ष:- माथे पर आंख धारण किए हुए


29. महाकाल:- कालों के भी काल


30. कृपानिधि:- करुणा की खान


31. भीम:- भयंकर या रुद्र रूप वाले


32. परशुहस्त:- हाथ में फरसा धारण करने वाले


33. मृगपाणी:- हाथ में हिरण धारण करने वाले


34. जटाधर:- जटा रखने वाले


35. कैलाशवासी:- कैलाश पर निवास करने वाले


36. कवची:- कवच धारण करने वाले


37. कठोर:- अत्यंत मजबूत देह वाले


38. त्रिपुरांतक:- त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले


39. वृषांक:- बैल-चिह्न की ध्वजा वाले


40. वृषभारूढ़:- बैल पर सवार होने वाले


41. भस्मोद्धूलितविग्रह:- भस्म लगाने वाले


42. सामप्रिय:- सामगान से प्रेम करने वाले


43. स्वरमयी:- सातों स्वरों में निवास करने वाले


44. त्रयीमूर्ति:- वेद रूपी विग्रह करने वाले


45. अनीश्वर:- जो स्वयं ही सबके स्वामी है


46. सर्वज्ञ:- सब कुछ जानने वाले


47. परमात्मा:- सब आत्माओं में सर्वोच्च


48. सोमसूर्याग्निलोचन:- चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले


49. हवि:- आहुति रूपी द्रव्य वाले


50. यज्ञमय:- यज्ञ स्वरूप वाले


51. सोम:- उमा के सहित रूप वाले


52. पंचवक्त्र:- पांच मुख वाले


53. सदाशिव:- नित्य कल्याण रूप वाले


54. विश्वेश्वर:- विश्व के ईश्वर


55. वीरभद्र:- वीर तथा शांत स्वरूप वाले


56. गणनाथ:- गणों के स्वामी


57. प्रजापति:- प्रजा का पालन- पोषण करने वाले


58. हिरण्यरेता:- स्वर्ण तेज वाले


59. दुर्धुर्ष:- किसी से न हारने वाले


60. गिरीश:- पर्वतों के स्वामी


61. गिरिश्वर:- कैलाश पर्वत पर रहने वाले


62. अनघ:- पापरहित या पुण्य आत्मा


63. भुजंगभूषण:- सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले


64. भर्ग:- पापों का नाश करने वाले


65. गिरिधन्वा:- मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले


66. गिरिप्रिय:- पर्वत को प्रेम करने वाले


67. कृत्तिवासा:- गजचर्म पहनने वाले


68. पुराराति:- पुरों का नाश करने वाले


69. भगवान्:- सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न


70. प्रमथाधिप:- प्रथम गणों के अधिपति


71. मृत्युंजय:- मृत्यु को जीतने वाले


72. सूक्ष्मतनु:- सूक्ष्म शरीर वाले


73. जगद्व्यापी:- जगत में व्याप्त होकर रहने वाले


74. जगद्गुरू:- जगत के गुरु


75. व्योमकेश:- आकाश रूपी बाल वाले


76. महासेनजनक:- कार्तिकेय के पिता


77. चारुविक्रम:- सुन्दर पराक्रम वाले


78. रूद्र:- उग्र रूप वाले


79. भूतपति:- भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी


80. स्थाणु:- स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले


81. अहिर्बुध्न्य:- कुण्डलिनी- धारण करने वाले


82. दिगम्बर:- नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले


83. अष्टमूर्ति:- आठ रूप वाले


84. अनेकात्मा:- अनेक आत्मा वाले


85. सात्त्विक:- सत्व गुण वाले


86. शुद्धविग्रह:- दिव्यमूर्ति वाले


87. शाश्वत:- नित्य रहने वाले


88. खण्डपरशु:- टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले


89. अज:- जन्म रहित


90. पाशविमोचन:- बंधन से छुड़ाने वाले


91. मृड:- सुखस्वरूप वाले


92. पशुपति:- पशुओं के स्वामी


93. देव:- स्वयं प्रकाश रूप


94. महादेव:- देवों के देव


95. अव्यय:- खर्च होने पर भी न घटने वाले


96. हरि:- विष्णु समरूपी


97 .पूषदन्तभित्:- पूषा के दांत उखाड़ने वाले


98. अव्यग्र:- व्यथित न होने वाले


99. दक्षाध्वरहर:- दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले


100. हर:- पापों को हरने वाले


101. भगनेत्रभिद्:- भग देवता की आंख फोड़ने वाले


102. अव्यक्त:- इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले


103. सहस्राक्ष:- अनंत आँख वाले


104. सहस्रपाद:- अनंत पैर वाले


105. अपवर्गप्रद:- मोक्ष देने वाले


106. अनंत:- देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित


107. तारक:- तारने वाले


108. परमेश्वर:- प्रथम ईश्वर



दोस्तो आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके बताएं धन्येवद


आपका


मित्र पंडित कपिल वत्स,







shiv rudrashtakam Stuti


 shiv rudrashtakam Stuti 🙏🌺

 नमस्कार दोस्तों




ज्ञान भक्ति दर्शन में आपका स्वागत है 






आज हम आपके लिए लेकर आए (रुद्राष्टकम स्तुति )जिसके पढ़ने से भगवान शंकर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं स्वामी तुलसीदास ने स्वयं लिखा है इसका व्याख्यान रामायण के उत्तरकांड में किया गया है,




ॐ नमः शिवाय






।। अथ रुद्राष्टकम् ।।


नमामीशमीशान निर्वाणरूपं , विभुंव्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं ।


निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं , चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं ।।१।।


निराकार ॐकारमूलं तुरीयं , गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं ।


करालं महाकाल कालं कृपालं , गुणागार संसार पारं नतोऽहं ।।२।।


तुषाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं , मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं ।


स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि चारुगंगा , लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ।।३।।


चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं , प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं ।


मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं , प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।४।।


प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं , अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं।


त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं , भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ।।५।।


कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी , सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि।


चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि , प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ।।६।।


नवावत् उमानाथपादारविन्दं , भजन्तीह लोके परे वा नराणां ।


न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं , प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं ।।७।।


न जानामि योगं जपं नैव पूजां ,नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं।


जराजन्मदुःखौऽघतातप्यमानं , प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो ।।८।।


रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये , ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।


।। श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ।।


हर हर महादेव जय शिव शंकर,


पंडित कपिल वत्स


ज्ञान भक्ति दर्शन , धायेवाद



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