रविवार, 9 फ़रवरी 2020

हर कोई हिसाब माँगेगा

हर कोई हिसाब माँगेगा जनाब
ये ना सोचना किसी का अपना हु मैं,

कुछ वक़्त बाद सब भूल जायेगे
बस याद रख एक सपना हु मैं,

दरवाजे


दरवजे की तराफ टकटकी लगाये देखता हु मै
 तुम होगे बार हर आहाट पे सोचता हू मैं

कु छ सिकयात न करुंगा तुम से सच कहेता हु मैं
बस आ  इक बार बड़ तन्हां रेहता हु मैं

हर किसी को फर्क है, तुम्हे खोने का,
 पर तुमारी कमी को हर पल महसूस करता हु मै

बस दरवाजे पर टकटकी लगाए देखता हूं मैं,


टूटता रहा सब को जोड़ता रहा में
ज़िन्दगी तुझे किस
दिशा मोड़ता रहा में
वक्त की आंच में पत्थर भी पिधल जाते हैं,
खुशी के लम्हे ग़म में बदल जाते हैं,
कौन करता है याद किसी को मेरे यारो,
वक्त के साथ खयालात भी बदल जाते हैं !

अक्सर कुछ वक़्त

अक्सर कुछ वक़्त पुराना याद कर लेता हूँ
जब होता हु अकेला खुद से बात कर लेता हूँ ,
क्या बय़ाँ करू दर बदर दुनिया से बातों को
गम के ढेर से दो पल ख़ुशी छांठ ही लेता हु,

बड़ी तसल्ली से

बड़ी तासल्ली से तुझे याद करने बैठा में
आज वक़्त कुछ बार्वाद करने बेठा मे ,
गिले शिक़वे जो उनसे हुऐ थे कभी
आज उनका हिसाब करने बैठा में;

कभी वक़्त मिला नहीं

कभी वक़्त मिला नही मुझे खुदको समझ ने का
पर काबिले तारीफ जो हमे पलभर मे समझा गए ,
कुछ कमी से रूबरू तो हम भी थे खुदकी ,
मगर जमी ओर आसमा मे फर्क बता गए ,

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