पल भर में अपना पल भार में पराया
ये दस्तूर नया दुनियां का समझ ना आया।
आंख खुलती भी नही बूरा बन जाता हूं
कीचड़ से दूर होकर भी सन जाता हूं।
अपनो के इस अपने पन को समझ नही पाया
ये दस्तूर नया दस्तूर दुनियां का समझ नही आया।
बोलकर झूट बड़ी सफ़ाई से मुकर जाते है
मामूली मामले में केस दर्ज़ हो जाते है ।
बड़ी मुश्किल से इस दिल को है समझाया
पर ये दस्तूर नया दुनियां का समझ नहीं आया
खासना भी सोच कर दिक्कत में पड़ जाओगे
पास नही भटकने वाला कोई चाहे जान से जाओगे।
जबकि सब यही रह जायेगा जो भी है कमाया
पर ये दस्तूर नया दुनियां का समझ नहीं आया ।
Pt kk vats
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