Hi friends my name PT KK VATS, write blogs, make my own, do not copy anyone& poetry, apart from this, I also write stories,Once you visit my blog, you will like it, because whatever I write, I write my heart. thanks & welcome
रविवार, 26 अप्रैल 2020
मंगलवार, 7 अप्रैल 2020
क्या आप ने हाल उनका भी जाना है,
क्या आपने उनका हाल भी जाना है,
जो कुछ रातो को भूखा सो जाता है,
क्या कभी मिले हो उस मजबूर से,
जो कंधे पे हाथ रखते ही रो जाता है,
तेरे हुक्म से हुकूमत घरो में जा कर बैठे,
जो रहते है सड़क पर उनका आशिया बेहेगया,
पानी पीकर वो चुपचाप सो जाता है,
उसका का कफन भी तूफ़ा उड़ा कर लगाया,
दुआ का क्या वो हर कोई कर लेता हैं,
जज़्बाती बातो से क्या कोई पेट भर देता है,
कोई हालात देखे जाके उसके घर का,
जो भुखा प्यासा भी उसका नाम लेके सो जाता है,
जो कुछ रातो को भूखा सो जाता है,
क्या कभी मिले हो उस मजबूर से,
जो कंधे पे हाथ रखते ही रो जाता है,
तेरे हुक्म से हुकूमत घरो में जा कर बैठे,
जो रहते है सड़क पर उनका आशिया बेहेगया,
पानी पीकर वो चुपचाप सो जाता है,
उसका का कफन भी तूफ़ा उड़ा कर लगाया,
दुआ का क्या वो हर कोई कर लेता हैं,
जज़्बाती बातो से क्या कोई पेट भर देता है,
कोई हालात देखे जाके उसके घर का,
जो भुखा प्यासा भी उसका नाम लेके सो जाता है,
गुरुवार, 2 अप्रैल 2020
अब बस कर जिन्दगी
अब बस कर जिन्दगी
अब बस कर जिन्दगी ओर यही बाकी था जहांन में,
क्या अब कैद भी होना होगा अपने ही मकान में,
बहुत कहता था अपनो में बैठने का वक़्त नही मिलता,
इतना जयाद अपनापन अब मुझे नही झिलता,
भूल गया हूं लेट लेट कर क्या होती है थकान में,
ओर कैद नही रह सकता अब अपने मकान में,
कुछ शर्म बाकी छटने लगी, है अब तो,
छोटी गलतिया भी कटखने लगी अब तो,
हर घर मे बस एक यही शोर हो रहा है ,
अपनो देख देख हर कोई बोर हो रहा है,
ऐसा लगता है जैसे हु बिन बुलाया मेहमान में
बस ओर नही रहे सकता हु अब अपने मकान मैं,
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020
हर गली समशान होगयी
हर गली समशान होगयी
ज़िंदगी बेजान सी होगयी
लोगों की भीड़ तो बहोत है
पर एक भी इंसान नही
मानो के जैसे इनमें जान नही
टूट टूट कर रोती है माँये
जिनकी दूर संन्तान होगयी,
जिन घरों में जीती थी ज़िन्दगी ,
वो अब टूट हुए मकन हो गयी,
हार गली समसान सी होगयी
ज़िन्दगी बेजान सी होगयी,
ज़िंदगी बेजान सी होगयी
लोगों की भीड़ तो बहोत है
पर एक भी इंसान नही
मानो के जैसे इनमें जान नही
टूट टूट कर रोती है माँये
जिनकी दूर संन्तान होगयी,
जिन घरों में जीती थी ज़िन्दगी ,
वो अब टूट हुए मकन हो गयी,
हार गली समसान सी होगयी
ज़िन्दगी बेजान सी होगयी,
रविवार, 9 फ़रवरी 2020
मुझे तो शोक से दफना देने
मुझे तो शोक से दफना देने अगर हर जिद हर पुरी हो जायेतो ,
समझ लूँगा एक रात का दिया हुआ मैं जो रोशनी कर चला ?
समझ लूँगा एक रात का दिया हुआ मैं जो रोशनी कर चला ?
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