शुक्रवार, 18 जून 2021

दुनियां शायरी ,ये दस्तूर नया दुनियां का


 पल भर में अपना पल भार में पराया
ये दस्तूर नया दुनियां का समझ ना आया।

आंख खुलती भी नही बूरा बन जाता हूं
कीचड़ से दूर होकर भी सन जाता हूं।

अपनो के इस अपने पन को समझ नही पाया
ये दस्तूर नया दस्तूर दुनियां का समझ नही आया।

बोलकर झूट बड़ी सफ़ाई से मुकर जाते है
मामूली मामले में केस दर्ज़ हो जाते है ।

बड़ी मुश्किल से इस दिल को है समझाया 
पर ये दस्तूर नया दुनियां का समझ नहीं आया

खासना भी सोच कर  दिक्कत में पड़ जाओगे
पास नही भटकने वाला कोई चाहे जान से जाओगे।

जबकि सब यही रह जायेगा जो भी है कमाया
पर ये दस्तूर नया दुनियां का समझ नहीं आया ।

Pt kk vats

सोमवार, 14 जून 2021

शुक्रगुजार हूं में उन तमाम लोगों का +4इन1






 

दर्द भरी शायरी ,सांस बड़ी धीरे से लेना


 सांस बड़ी धीरे से लेना 

दुनिया को पता चल जायेगा।

चुपचाप बनके अपना कोई

सांस भी छल जायेगा।

जिन्दगी तेरा सताना


 जिन्दगी तेरा सताना अब सहा नही जाता

तेरा इतना दर्द देना समझ नहीं आता।

क्या किसी गैर से सौदे बाज़ी करली हैं 

शायद इसलिए मेरा हाल तुझे नज़र नही आता।

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