शनिवार, 5 जून 2021

मुझ पर भरोसा फिर भी भयभीत


 मुझ पर भरोसा 

फिर भी भयभीत ।

मैं काली हूं कंकाली 

काल पे भी मेरी जीत।

पैर रख दिया जमी पर

में भय पर छा गई।

तूने याद किया दिल से

ओर मां आगई




गुरुवार, 3 जून 2021

में अपनो का बेवफा हूं


 में अब अपनो का बेवफा हूं

कोई ओर लफ्ज़ ना कहना ।

है सही सब बस मैं ही बुरा हूं
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

वो गुलाब है मै कांटा सही
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

वो खजूर में मैं कडवा हूं
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

वो शरीफ मै सरफिरा हूं
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

में हर फसाद की वजह हूं
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

गैरों से भी गया गुज़रा हूं
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना।

सब एक तरफ़ में अकेला
कोई ओर लफ्ज़ ना कहना

रविवार, 30 मई 2021

तेरी नाराजगी भी जायज़ है

 



तेरी नाराजगी भी जायज़ हैं
मेरी मजबूरी जायज़ है
ये दुनिया मां तेरे लाल को रुलाए
क्या तेरी नज़रों में ये बात भी जायज़ है❤️

शनिवार, 29 मई 2021

शायद

 कोई उम्मीद शयद अभी बाकी है 

क्यों की उनको मुझमें दिलचस्भी काफ़ी हैं

क्या इरादा है जिन्दगी तेरा कुछ तो गड़बड़ है

फिर जगाई है मुझमें हिम्मत वोही काफी है।

जीत सकता हु में जमाने से हर लड़ाई को 

बस तू समझ ना कमजोर मुझे यही काफी है





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