शनिवार, 29 मई 2021

शायद

 कोई उम्मीद शयद अभी बाकी है 

क्यों की उनको मुझमें दिलचस्भी काफ़ी हैं

क्या इरादा है जिन्दगी तेरा कुछ तो गड़बड़ है

फिर जगाई है मुझमें हिम्मत वोही काफी है।

जीत सकता हु में जमाने से हर लड़ाई को 

बस तू समझ ना कमजोर मुझे यही काफी है





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