रविवार, 10 मई 2020

तुम खुस हो तो

तुम खुश हो तो खुसी मिलती है, दिन भी अच्छा जाता है,
जैसे तेरे इशारो को खुदा भी समझ जाता है,

माँ को समर्पित मेरा जीवन ,

शनिवार, 9 मई 2020

मेरी माँ

मेरी माँ सबसे प्यारी माँ,
प्यार हमे वो करती ज्यादा,
हम दोनों भाई को जोभी दे आधा आधा,
सुबह वो हमसे पेहे उठकर खाना वो बनाये
पहले दे हम दोनों को बद में वो खाये,
खेल खेल मे कभी हँसाती कभी समझती है,
माँ हमारी प्यारी माँ, बस हमे देख मुस्काती है,

गुरुवार, 7 मई 2020

हर किसी मग़रूर को

हर किसी मग़रूर को कुछ पल में बता दिया
ये कायनात तेरी ही है तूने समझा दिया,
हो गया था गुमान जिनको तानाशाही का
उन्हीं शहनशाहो को तुने खाक में मिला दिया,

रविवार, 26 अप्रैल 2020

हाले दिल का तो

हाले दिल का तो किसी को एहसास नही,
जो खोया है मैंने वो उनके पास नही,
एतराज ना करना कुछ केहे जाऊ तो,
मुझे आपसे उम्मीद भी कुछ खास नही,

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

हर वक़्त बढ़ने की चाहामे इतना वो बड़ गया,
क्या पता था इंसान को की उसका घर उजड़ गया,
सीकर करने वाला आज खुद कैद में पड़गया,
क्या पता था इंसान को की उसको घर उजाड़ गया

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

क्या आप ने हाल उनका भी जाना है,

क्या आपने उनका हाल भी जाना है,
जो कुछ रातो को भूखा सो जाता है,
क्या कभी मिले हो उस मजबूर से,
जो कंधे पे हाथ रखते ही रो जाता है,

तेरे हुक्म से हुकूमत घरो में जा कर बैठे,
जो रहते है सड़क पर उनका आशिया बेहेगया,
पानी पीकर वो चुपचाप सो जाता है,
उसका का कफन भी तूफ़ा उड़ा कर लगाया,

दुआ का क्या वो हर कोई कर लेता हैं,
जज़्बाती बातो से क्या कोई पेट भर देता है,
कोई हालात देखे जाके उसके घर का,
जो भुखा प्यासा भी उसका नाम लेके सो जाता है,

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

अब बस कर जिन्दगी


अब बस कर जिन्दगी


अब बस कर जिन्दगी ओर यही बाकी था जहांन में,
क्या अब कैद भी होना होगा अपने ही मकान में,
बहुत कहता था अपनो में बैठने का वक़्त नही मिलता,
इतना जयाद अपनापन अब मुझे नही झिलता,
भूल गया हूं लेट लेट कर क्या होती है थकान में,
ओर कैद नही रह सकता अब अपने मकान में,
कुछ शर्म बाकी छटने लगी, है अब तो,
छोटी गलतिया भी कटखने लगी अब तो,
हर घर मे बस एक यही शोर हो रहा है ,
अपनो देख देख हर कोई बोर हो रहा है,
ऐसा लगता है जैसे हु बिन बुलाया मेहमान में
बस ओर नही रहे सकता हु अब अपने मकान मैं,


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