दर्द जितना भी हो मीठा दर्द ही कहलाता है
नजरें हकीकत भी कोई बात ख्वाब नजर आता है
अब सोचते हैं काश ये ख्वाब ही होता
चलो हकीकत ही सही पर देखा ना होता ।
ना जाने किस अदा से उनसे नजरें मिलाते हैं
हमें तो खबर ही ना थी वो किसी का दिल भी जलाते हैं।
अब क्या कहें चाहता जिसे वह हमारी किस्मत में नहीं
ओर खुश रहना तो हमारी फितरत में नहीं।
जिसको मानते है रूठ जाता है
हर एक दामन हाथों से छूट जाता है।
Pt KK VATS
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