गुरुवार, 9 सितंबर 2021

दर्द जितना भी हो मीठा






दर्द जितना भी हो मीठा दर्द ही कहलाता है 

नजरें हकीकत भी कोई बात ख्वाब नजर आता है 

अब सोचते हैं काश ये ख्वाब ही होता 

चलो हकीकत ही सही पर देखा ना होता ।

ना जाने किस अदा से उनसे नजरें मिलाते हैं

 हमें तो खबर ही ना थी वो किसी का दिल भी जलाते हैं।

अब क्या कहें चाहता जिसे वह हमारी किस्मत में नहीं

 ओर खुश रहना तो हमारी फितरत में नहीं।

 जिसको मानते है रूठ जाता है

 हर एक दामन हाथों से छूट जाता है।

Pt KK VATS

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