सोमवार, 15 जुलाई 2024

ट्रेंड में भारत

 नमस्कार दोस्तों 


आज बात करते है ट्रेंड की क्यों आज कल जो भी फैमस होता है लोग उसे ट्रेंड बना देते है,

रहने सहन, खानपान, से लेके भगवान को भी लोगों ने ट्रेडिंग में ला दी हैं,

क्यों कि जिसे से इंसान को खुशी मिलती है ,वो ट्रेंड है, 

हर उम्र के लोगो का अलग शोक हो सकता है।

लेकि ट्रेंड एक ही है,

इंस्टाग्राम, यूट्यूब, जैसी सोशल मीडिया साइड पर जो भी हो रहा है, वो ट्रेंड है वही ट्रेंड है।

ऐसा मानो इस ट्रेंड ने बुजुर्ग और बच्चों के जनरेशन गैप को खत्म कर दिया है जनाब,आप ने एक गाना सुन होगा, ना उम्र की सीमा हो , ना जन्मों का हो बन्धन, ना उम्र की सीमा बची ना बन्धन,

लोगो को सोशल मीडिया पर , कुछ रील देखी होगी

जिसमें कुछ बुजुर्ग कम उम्र के नो जवानों के साथ कमर मटकते हुए नज़र आयेगे,

कुछ लोग ,भगवानों को भी नहीं बक्शते अपनी रील को ट्रेडिंग में लाने के लिए भगवानों पर रील बनाने लगते है, ओर कुछ लोगो ने तो हद ही कर दी गली गलौज के साथ बेशर्मी के गानों पर भी रील बनाना शुरू कर दिए, दोस्तों ये जो ट्रेडिंग है आज इसके वजह से बच्चों में अपने माता पिता की , इज्जत कम कर दी, कुछ छोटे बच्चे जीने गेम का ट्रेंड है उन्हें कुछ ओर याद नहीं रहता, सिफ गेम,हम लोगो की जिन्दगी में यह ट्रेंड नाम का जहर मिलता जा रहा है , जिसके कारण सभी लोगो ने आउट डोर एक्टिवीटी बंद कर दी जिसके घातक परिणाम आपके सामने है, मोटापा, डायबिटीज, BP, शुगर,

जैसी बीमारी का शिकार हो रहे है लाखों लोग।


सरकार को कुछ नियमों को बनाना चाहिए 

सोशल मीडिया,ओर गन्दे प्रचार वाली रील और गेम पर ताकि देश के नागरिकों में सुधार आ सके वह,रील से रियल लाइफ की तरफ देख सके,

आप भी अपने मोबाइल फोन का कम से कम 

इस्तेमाल करे ताकि आपके बच्चे वही करते है जो आपको करते देखते है ।



आपको पोस्ट कैसी लगी जरू बताए,



पंडित,के के वत्स 


गुरुवार, 25 जनवरी 2024

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

भिखारी

 भिखारी 


जी हा दोस्तों आज का ब्लॉग है थोड़ा अलग, थोड़ा अटपटा सा दोस्त ट्रैफिक की रेडलाइट पर जब भी ब्रेक लगते है , एक बच्च रेडलाइट के सामने कला बाजी मरता हुआ आता है,ओर बाईक, कार,वालो के पास आकर पैसे मांगता है, कुछ लोग पैसे देते है कुछ लोग नसीहत,भीख मगना गलत बात है,मगर फिर वो करे क्या ना पढ़ाई ना हुनर ना सिर पर छत,फिर करे क्या,फिर भी बेचारा ये समझ गया भीख मांगना गलत बात है,ओर कुछ रंग बिरंगे गुब्बारे लेकर, फिर रेडलाइट पर खड़ा हुआ,मगर अब उसके हाथ भीख मांगने के लिए नहीं मेहनत के लिए उठे है मगर अब इनके गुब्बारे शाम को बच जाते है, ओर ये लोग खाली पेट भी सो जाते है, क्यों की उन्हें क्या पता था, जिसने कहा था भीख मांगना गलत वो रात को पेट भर खाना खाके आराम से सो रहा है, क्योंकि नसीहत देने के पैसे नही लगते साब,ना जाने कितने ऐसे बच्चे,कोई गुब्बारे,कोई खिलौने,कोई हाथ में कपड़े लिए ,ये खुद को बदलना चाहते है,मगर हम ही सायद इनकी मादत से पीछा छुड़ाने में लग जाते है,

Please 🥺 help

ये बदलना चाहते है अगर आप इनका साथ दे ,

एक बैलून का सवाल है 




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