किसी के दिल का शुकून हूं मैं किसी के दिल का कांटा हूं।
जिस -२ को चुभा हूं फर्मादो यारो बड़े प्यार से निकाल जाता हूं ?
PT KK Vats ✍️
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किसी के दिल का शुकून हूं मैं किसी के दिल का कांटा हूं।
जिस -२ को चुभा हूं फर्मादो यारो बड़े प्यार से निकाल जाता हूं ?
PT KK Vats ✍️
बेशक ही चुभता हूं मैं किसी किसी कीआंखों में,
ये मेरे दिला का कसूर नहीं मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है?
PT KK Vats ✍️
दर्द जितना भी हो मीठा दर्द ही कहलाता है
नजरें हकीकत भी कोई बात ख्वाब नजर आता है
अब सोचते हैं काश ये ख्वाब ही होता
चलो हकीकत ही सही पर देखा ना होता ।
ना जाने किस अदा से उनसे नजरें मिलाते हैं
हमें तो खबर ही ना थी वो किसी का दिल भी जलाते हैं।
अब क्या कहें चाहता जिसे वह हमारी किस्मत में नहीं
ओर खुश रहना तो हमारी फितरत में नहीं।
जिसको मानते है रूठ जाता है
हर एक दामन हाथों से छूट जाता है।
Pt KK VATS
ॐ श्री महामृत्युंजय मंत्र
नमस्कर दोस्तों ,
आपने महामृत्युंजय मंत्र के बारे में सूना होगा, पर हम आपको बता दें कि महामृत्युंजय भगवान शिव शंकर का ही नाम ,है इस मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय जी ने स्वयं की थी क्योंकि ऋषि मार्कंडेय जी की आयु से अधिक नहीं थी , महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते करते मार्कंडेय भगवान शंकर के शक्ती लिंग को पक्का बैठे बैठे भगवान के ध्यान में मगन थे , जब यमराज मार्कण्डे के प्राण हारने के लिऐ आगे बड़े, तभी महादेव महाकाल रुप में प्रकट हुए, ओर यमराज लोटने का आदेश दिया , ओर मार्कण्डे जी के प्राणों की रक्षा की, ओर महामृत्युंजय कहलाए।
इस महामृत्युंजय मंत्र जप से बडे़ से बडे़ संकट दूर हो जाते है और महादेव अपने भक्तो को किसी के भरोसे नहीं छोड़ते स्वयं आते हैं।
।। ॐ ह्रौं जूं सः । ॐ भूर्भवः स्वः । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् । स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ ।