शनिवार, 25 सितंबर 2021

चुभता हूं मैं

 बेशक ही चुभता हूं मैं किसी किसी कीआंखों में,

ये मेरे दिला का कसूर नहीं मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है?


PT KK Vats ✍️


गुरुवार, 9 सितंबर 2021

दर्द जितना भी हो मीठा






दर्द जितना भी हो मीठा दर्द ही कहलाता है 

नजरें हकीकत भी कोई बात ख्वाब नजर आता है 

अब सोचते हैं काश ये ख्वाब ही होता 

चलो हकीकत ही सही पर देखा ना होता ।

ना जाने किस अदा से उनसे नजरें मिलाते हैं

 हमें तो खबर ही ना थी वो किसी का दिल भी जलाते हैं।

अब क्या कहें चाहता जिसे वह हमारी किस्मत में नहीं

 ओर खुश रहना तो हमारी फितरत में नहीं।

 जिसको मानते है रूठ जाता है

 हर एक दामन हाथों से छूट जाता है।

Pt KK VATS

आंखो आंखो मे बेरूखी

 आंखो आंखो में बेरूखी सी जता देते है ।

कुछ लोग चुप रहकर भी रुला देते है ।


गुरुवार, 2 सितंबर 2021

ॐ श्री महामृत्युंजय मंत्र

 

ॐ श्री महामृत्युंजय मंत्र


नमस्कर दोस्तों ,

 आपने महामृत्युंजय मंत्र के बारे में सूना होगा, पर हम आपको बता दें कि महामृत्युंजय भगवान शिव शंकर का ही नाम ,है इस मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय जी ने स्वयं की थी क्योंकि ऋषि मार्कंडेय जी की आयु से अधिक नहीं थी , महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते करते मार्कंडेय भगवान शंकर के शक्ती लिंग को पक्का बैठे बैठे भगवान के ध्यान में मगन थे , जब यमराज मार्कण्डे के प्राण हारने के लिऐ आगे बड़े, तभी महादेव महाकाल रुप में प्रकट हुए, ओर यमराज लोटने का आदेश दिया , ओर मार्कण्डे जी के प्राणों की रक्षा की, ओर महामृत्युंजय कहलाए।

इस महामृत्युंजय मंत्र जप से बडे़ से बडे़ संकट दूर हो जाते है और महादेव अपने भक्तो को किसी के भरोसे नहीं छोड़ते स्वयं आते हैं। 


।। ॐ ह्रौं जूं सः । ॐ भूर्भवः स्वः । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌ । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌ । स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ ।




बुधवार, 1 सितंबर 2021

हास्य कथा, संतोष की प्रार्थना,

 हास्य कथा, किस्से कहानियां,


संतोष की प्रार्थना,


 एक शहर में संतोष नाम का आदमी अपने परिवार के साथ रहता था उसके परिवार में उसकी बूढ़ी मां शांति ,उसकी बीवी सरोज ,और दो बच्चे बिट्टू और मुन्नी थे ।

संतोष काफी सीधा किस्म का इंसान था वह किसी से मतलब नहीं रखता था ।

संतोष से घर से नौकरी और नौकरी से घर, सन्तोष एक माल में सैल्स मैन था।

बच्चों के खिलौने और कपड़े बेचा करता था, जहां पर छोटे-छोटे बच्चे अपने मां बाप के साथ आया करते, और वहां पर आकर खरीदारी करा करते बहुत सुंदर सुंदर खिलौने और कपड़े मिला करते थे, जो काफी महंगे हुआ करते थे ।

लेकिन संतोष की तनख्वाह को ज्यादा नहीं की संतोष उन्हें देखता और मन ही मन खुश होने लगता है, सोचता काश अगर हम भी बच्चे होते तो ही अच्छा था।

एक बार बहुत तेज बारिश हो रही थी संतोष अपनी नौकरी पर समय के अनुसार पहुंच गया था परंतु बारिश होने के कारण कोई भी माता पिता अपने बच्चों के साथ माल ना आ सके।

 तथा संतोष बड़ा परेशान हुआ शाम तक बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही , संतोष ने सोचा अगर आज के समान नहीं बिका तो मालिक उसे बहुत बातें सुनाएगा।

 शाम तक बारिश ना रुकने के कारण दुकान मालिक काफ़ी नुकसान हुआ, और संतोष के मालिक ने सारा गुस्सा संतोष पर ही निकाल दिया ।

कहने लगा तुम किसी काम के नहीं हो चले जाओ ,कल से आने की कोई जरूरत नहीं ,संतोष बड़ा परेशान हो गया, और उदास होकर अपने घर चला गया।

 संतोष ने अपने घर वालों को कुछ नहीं बताया, चुपचाप खाना खाया और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।

 संतोष ने सोचा बड़े होने के बाद में कितनी सारी परेशानी इतनी सारी जिम्मेदारियां बढ़ जाती है काश में बड़ा ही ना होता आज यह सारी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता ।

संतोष को अपनी नौकरी की चिंता थी,

उसके सिवा कोई घर में कमाने के लिए नही था, संतोष भगवान से कहने लगा या तो मेरी परेशानी खतम करो या भगवान काश मुझे फिर से छोटा कर दो तो शायद सारी परेशानियों का हल हो जाए ।

संतोष यही सोचो सोचो कर सो गया, सन्तोष को ऐसा लगा कि बहुत तेज रोशनी आई और उसको कुछ दिख नही दिया, ओर उसे घड़ी का अलार्म बजने की आवाज आई सन्तोष सुबह सुबह जब उठा।

 तो उसको कुछ अजीब सा महसूस हुआ संतोष को लगा हुआ है पहले से काफी हल्का हो गया संतोष उठकर बाथरूम में गया और मुंह धोने पर कुछ अजीब सा महसूस हुआ ।

उसने जैसे ही अपने आपको

शीशे में देखा तो देख कर चौक गया यह क्या वह एक 13 साल का लड़का बन गया था।

संतोष यह देखकर काफी घबरा गए और कमरे की तरफ भाग उसने अपने आपको आकर शीशे में देखा तो वह काफी छोटा दिखाई दे रहा था ।

संतोष की हुबहू बिल्कुल वैसा ही हो गया था जैसा कि वह अपने बचपन में था, वह कुछ समझ नहीं पा रहा था यह उसके साथ क्या हुआ, संतोष ने सोचा जाकर मां को बताता हूं ,शायद वह समझ जाए संतोष जैसी अपनी मां के पास जता है ।

तो क्या देखता है सब के सब जैसे पहले थे वैसे ही हैं यहां तक कि उसके बच्चे, बीवी ,और उसकी मां भी उसी उम्र के हैं जैसे पहले से सिर्फ संतोष ही फिर से बच्चा बनना गया।


संतोष मां के पास जाता है और कहता है मां मैं संतोष हूं इसकी मां हां बेटा तुम संतोष जैसे ही लगते हो क्या नाम है तुम्हारा ।

संतोष बोला मै संतोष, मा बोली अरे तुम्हारा नाम क्या है संतोष बोला मां तुमने मुझे पहचाना नहीं मैं वही संतोष हूं कि तुम्हारे साथ इस घर में रहता है ।

संतोष की मां बोली बड़े मजाकिया बच्चे हो तुम्हारे माता-पिता कहां हैं।

संतोष बोला आप ही मेरी मां है और पिताजी तो कब के भगवान के पास चले गए।

जब बार-बार एक ही बात बोल रहा था तो मां को गुस्सा आ गया वह बोली चले जाओ यहां से, पता नही कोन है जरा सा है और मैं आपको मेरा बेटा बता रहा है ।

मेरा बेटा नौकरी पर गया है, संतोष फिर अपनी पत्नी के पास गया और बोला सरोज क्या तुमने मुझे पहचाना मैं तुम्हारा पति हूं, सरोज बोली बड़ा बदतमीज अच्छा है छोटा सा है और अपने आप से मेरा पति बता रहा है।

 यही बात उसने अपने बच्चों से बच्चों क्या आपने मुझे पहचाना मैं आपका पापा संतोष में बच्चे उसे पागल कहने लगे बोलने लगे बड़ा पागल बच्चा है इतना छोटा सा है और अपने आप को हमारे पापा कह रहा है।

सबने ने डाट कर , सन्तोष को घर से बाहर निकाल दिया,

संतोष बेचारा सोचने लगा अब करूं तो क्या करूं कोई मुझे पहचानता ही नहीं।

 यहां तक कि मेरे अपने घरवाले भी मुझे नही पहचानते, संतोष में सोचा अपने मालिक के पास जाता हूं क्या पता मुझे पहचान जाए।

 संतोष भागा भागा अपने मालिक के पास गया और बोला मालिक आपने मुझे पहचाना मैं संतोष हूं।

आपने मुझे कल डाट कर घर भेजा था था और मैं रात को भगवान से प्रार्थना करने लगा भगवान मुझे छोटा कर दें भगवान मुझे छोटा कर दिया कर दिया उसके मालिक ने सोच यह कोई भारूपिया बच्चा है मुझे पागल समझता है शायद यह कोई चोरी करने आया है।

दुकान वाला चालक था बोला हां हां पहचान गया तुम्हें संतोष हो, पहचान गया,मैं कभी बच्चा बन गया था

 एक बार तो मैं मेरे साथ भी ऐसा हुआ था, तुम बैठो 

 मैं अभी आता हूं ।

दुकानदार चुपचाप से नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर संतोष की बहरूपिया समझकर कंप्लेंट कर देता है और पुलिस को साथ ले आता है ,पुलिस संतोष को बच्चों के जेल में ले जाकर बंद कर देती है।

 संतोष जोर जोर से चिल्लाता रहता है मैं संतोष हूं मैं संतोष हूं परंतु उसकी बात कोई नहीं सुनता ,चिल्लाते चिल्लाते संतोष को जेल में बंद कर देते हैं ,संतोष के बार-बार चिल्लाने पर मैं संतोष हूं मैं संतोष हूं ।

एक पुलिसकर्मी पानी का भरा हुआ डब्बा जब संतोष के मुंह पर फेंक है। 

तभी संतोष को आवाज आती है हां हां पता है तू ही संतोष है बार बार चिल्लाने से क्या होगा।

नौकरी पर नहीं जाना 10:00 बज गए हैं कब तक सोता रहेगा संतोष आंख खोल कर देखता है ,अपनी मां की तरफ , अपने आप को देखता है और बहुत ही खुश होता है ,संतोष सोचता है यह तो एक सपना था ।

बच गया भगवान ने सच में बच्चा नही बनाया,

ओर खुश हो जाता है, नाचने लगता है,

कुछ देर बाद एक फोन पर घंटी बजती है और उसके मालिक का फोन आता है ,संतोष तुम कहां पर हो कल मैंने तुमसे भला बुरा कह दिया था ।

गलती मेरी थी कल बारिश की वजह से कोई ग्राहक नहीं आ पाया, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, तुम काम पर आ जाओ मैं तुमसे माफी मांगता हूं संतोष खुश हो जाता है और ऑफिस के लिए तैयार होकर निकल जाता है।


(दोस्तो भगवान संतोष की परेशानी ठीक कर दी , पर इतने जबरदस्त सपने के साथ, आशा करता हूं यह कहानी आपको बेहद पसन्द आई होगी,

कैसी लगी दोस्तो हमारे भोल भाले संतोष की कहानी , हमे कॉमेंट करके बताए ,दोस्तों इसी प्रकार की आपके लिए रोमांचक किस्से कहानियां फिर मिलेंगे,)


नमस्कार मैं हूं आपका मित्र 



पंडित के के वत्स , 


shayranaclub121.blogspot.com

,

Agar aap ke zahan me koi aisi kahani kissa Hai to hamen jarur likhen,

हम उसे प्रकाशित करेंगे धन्यवाद,



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