गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

वोह हिम्मत देता है

 वोह हिम्मत देता है करना आपके हाथ में है।

बाकी तो लोग वही कर सकते है जो ओकात में है।


टूटे हुए टुकड़े किसी काम के नहीं


 

तनहाई में घर घर लगता हैं


 अब अपनों का नाम ना लेना डर लगता है-2

तनहाई में रहता हूं तो घर घर लगता है

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

हर एक किरदार को



 हर एक किरदार निभा रहा हूं यारों

फिर भी हर चोट खा रहा हूं यारों

ज़िन्दगी ज्यादा ही कुछ उलझी सी है

उसको  बड़े ध्यान से सुलझा रहा हूं यारो 


देखता हूं क्या कर सकता हूं मै

कितनी ज़िन्दगी बदल सकता हूं मैं

उम्मीद तो है हर दिल में बसने की

अभी अपनो को ही आजमा रहा हूं यारो,


ये मै  जनता हूं में जीत जाऊंगा

हर किसी दिल को जीत लाऊंगा

मगर फिर भी डगमगा रहा हूं यारो

हाथ थाम लो मैं घबरा रहा हूं यारो


शनिवार, 10 अक्टूबर 2020

समय का पहिया घूम रहा है


 समय का पहिया घूम रहा।

जो सही है उसको चूम रहा है।

मतकर बेईमानी ईमान से

क्योंकि वक्त बुराई धुंड रहा है।

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

सुन लो गंगा क्या केहेति है

 



मै चिर हिमालय आती हूं चट्टानों से टकराती हूं

निकली शिव के केषों से पावन हूं हरी हरी के चरणों से 

किसी जगह भी मेरी बूंद गिरे उसको अमृत कर जाती हूं,

सायद मुझको तुम भूल गए मै गंगा मां कहलाती हूं,


क्यों करते हो अपमान मेरा बचपन मे क्यों था मान मेरा,

मदिरा के सेवन कर कर के क्यों करते हो स्नान मेरा

क्यों ढोंग सनातन का करके मुझको अछूत कर जाते हो,

सयाद तुम सब ये भूल गए मुझे गंगे मा क्यों बुलाते हो,


मुझ में नहाए फिर पाप करे, क्यो बेटी का अपमान करे

गांगा जल जैसी पावन कन्याओं का ना सम्मान करे,

क्यों नोच नोच कर फेंक रहे नन्हे से जिगर के टुकड़ों को,

बेबस मा भी अब तक रही उन हेवानो के मुखड़ों को,


सुन लो गंगा क्या केहेति है , बस कर पगले इन्सान सुन,

म त कहां कर माता मुझको तू बन रहा हेवान रे सुन

घर बैठे आपने माता पिता का, बस करले तू सम्मान रे सुन,

उन्मेही गौरी शंकर जिनको में शीश झुकाती हूं,


तुम याद रखो मेरे लाल मुझे में ही गंगा मां कहलाती हूं,




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