शुक्रवार, 11 जून 2021

चुपचाप रहता हूं


चुपचाप रेहेता हु तो वो कमज़ोर समझ ते है
जवाब देता हूं तो कठौर समझते है
साथ देता हूं तो नटखोर समझते हैं
इस लिए कमज़ोर ही बना रहने में भलाई है
ज्यादा बोल जाता हूं तो कोई और समझ लेते है

 

कोई मुराद नही मांगी थी तुमसे


 कोई मुराद नही मांगी थी तुमसे

बस उम्मीद है मुझे समझने की,

शनिवार, 5 जून 2021

ना गिन कर देती हूं

नागिन तो देती हूं नागिन कर लेती हूं ।

भक्तों की तरफ देखने वालों की मैं जुबान खींच लेते।
 

मुझ पर भरोसा फिर भी भयभीत


 मुझ पर भरोसा 

फिर भी भयभीत ।

मैं काली हूं कंकाली 

काल पे भी मेरी जीत।

पैर रख दिया जमी पर

में भय पर छा गई।

तूने याद किया दिल से

ओर मां आगई




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