कैसी माया डारके हरि कराए नाम ।
जो परिजन को सहज नहीं वाको भाए राम ।
साधु भेस बनायिके बगल टांग एक आरी ।
हे राम जानकी क्या जाने जो जाने ना घर की नारी ।
जय श्री राम जानकी माता की
Hi friends my name PT KK VATS, write blogs, make my own, do not copy anyone& poetry, apart from this, I also write stories,Once you visit my blog, you will like it, because whatever I write, I write my heart. thanks & welcome
जो परिजन को सहज नहीं वाको भाए राम ।
साधु भेस बनायिके बगल टांग एक आरी ।
हे राम जानकी क्या जाने जो जाने ना घर की नारी ।
जय श्री राम जानकी माता की
ठोकर खाकर रगड़ रहा हूं मै।
किसी दरदरे पत्थर से छबि में बदल रहा हूं मै ।
शायद तराश रहा है खुदा अपनो के कदमों से मुझे ।
उनके कदमों मैले है पर मैं चमक रहा हूं ।
Pt kk vats 🙏
चल दिए तेरे शहर से किसी और ठिकाने को
कोई ओर खिलौना ख़रीद लो अब दिल लगाने को ?
Pt kk vats 🙏❤️