मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

पहले की बात कुछ और थी


 पहले की बात कुछ और थी

उस वक्त सभी के प्यारे थे हम

वो वक्त ही कुछ ऐसा था

जब आंखों की सबके तारे थे हम।


पहले की बात कुछ और थी

जब सीने में मैं धड़का करता था

मेरी जरा सी आह पर

हर कोई दौड़ा करता था।


पहले की बात कुछ और थी

जरा सी खरोंच पर खिलौना मिल जाना

देख कर बाज़ार मैं चेहरा खिल जाना

अब सब सपना सा नज़र आता है


पहले की बात कुछ और थी

अब कोई कोई बात समझ पाता है

बिन बोले हर चीज़ मील जाती थी

जब मां चेहरा देख समझ जाती थी


पहले की बात कुछ और थी

अब तारे बस आसमां में दिखते है

खिलौने बस सपनो में मिलते है

दिल को अब कोई समझ नही पाता


पहले की बात कुछ और थी

अब पता चल गया हम बड़े हो गए है

इस दुनिया की भीड़ में खो गए है

पहले की बात ओर थी



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